मातु पिता भ्राता सब कोई । संकट में पूछत नहिं कोई ॥ प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥ भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।। अर्थ- हे नीलकंठ आपकी पूजा करके ही भगवान श्री रामचंद्र लंका को जीत कर उसे विभीषण को सौंपने में कामयाब https://shiv-chalisa-lyrics-in-pu14484.review-blogger.com/52150307/about-shiv-chalisa